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धोखेबाज़-कौन?

स्वतंत्र अभिव्यक्ति
स्वतंत्र अभिव्यक्ति
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जब भी कांग्रेस को किसी मुद्दे पर आगे बढ़ना होता है तो वो अपनी पार्टी के छुट-भइया नेताओं से उस मुद्दे पर स्टेटमेंट दिलवाती है और अगर उसका राजनीतिक विरोध हुआ तो पार्टी हाई-कमान उसका खंडन करके उस छूट-भइये नेता की व्यक्तिगत राय बताकर उसके माथे मड़ कर बच निकल लेती है ।
कांग्रेस एक परिवार विशेष को हर सम्भव बचने का असफल प्रयास करती है जैसा कि दागी नेताओं को इलेक्शन लड़ने के अध्यादेश को राहुल गांधी द्वारा फाड़े जाने या हाल ही मैं “जातिगत-आरक्षण” के मुद्दे पर कोंग्रेसिया छुट-भइये जनार्दन द्वेदी के बयान पर सोनिया गांधी द्वारा दी गयी सफाई के मामले मैं हुआ……..पर इतना तो साफ है कि कांग्रेस कम से कम किसी मुद्दे पर अपना स्टैंड क्लियर तो करती है, फिर चाहे वो “समर्थन” हो या “विरोध”……..पर दूसरी ओर मोदी या बीजेपी है जो “5T” फॉर्मूले मैं “टैलेंट” की तो बात करते हैं पर “जातिगत-आरक्षण” पर अपना स्टैंड क्लियर नहीं करते……….केवल हवा-हवाई बातें और लच्छेदार भाषणों मैं प्रतिद्वंदियों को कोसते रहते हैं ।
ऐसे मैं सही मायने मैं धोखा कौन दे रहा है?
वह जो किसी मुद्दे पर कम से कम “क्लियर” है या “गोलमाल” है?

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